रक्षाबंधन, रक्षाबंधन २०२3 । rakshabandhan in hindi, rakshabandhan 2023
हमारे भारत देश मे हर साल भोहत सारे त्योहार मनाए जाते है. उनमैसे एक त्योहार है रक्षाबंधन. रक्षाबंधन त्योहार का हर एक भारतीय बेसब्रीसे इंतजार करता है.तो आईए जाणते ईस त्योहार के बारेमे.
रक्षाबंधन का मतलब क्या हैं
रक्षाबंधन भाई-बहन का त्योहार हैं. यह त्योहार भाई-बहन के बीच स्नेह और पवित्र रिश्ते का प्रतिक है.रक्षा का मतलब है रक्षा करना.बहन अपने भाई कि कलाई पे राखी (एक पवित्र धागा) बांधती हैं जिससे भाई कि लंबी उम्र हो और भाई हर मुसीबत से दूर रहे. भाई बहन कि रक्षा करनेका वचन देता हैं.
रक्षाबंधन कब मनाया जाता हैं
रक्षाबंधन हर साल हमारे देश मे मनाया जाता हैं,ये त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के पोर्णीमा के दिन मनाया जाता हैं. मतलब अगस्त महिनेमे ये त्योहार आता हैं.
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता हैं
ईस दिन का इंतजार हर एक भाई हर एक बहन बेसब्रीसे करते हैं.बहन अगर ससुरालमे हो तो ईस दिन माईकेमे आजाती हैं.रक्षाबंधन त्योहार कि सुरुवात होती है पूजा कि थाली सजानेसे. सबसे पहिले थाली सज्याई ज्याती हैं उसमे कुंकुम, चावल,दीपक,मिठाई, शगुण का पैसा,फूल और राखी ये सब रखा ज्याता हैं.उसके बाद भाई जमीन पर चटई दालके उसपर बैठता हैं. याद रखे भाई का सर टोपी या रूमाल से ढका होणा चाहिये.फिर बहन कुंकुम का तिलक करती है और उसपे चावल लगाती है.फिर भाई कि लंबी उमर के लीये आरती उतारी ज्याती है.बादमे भाई कि कलाई पे राखी बांधी ज्याती है फिर भाई का मू मीठा किया ज्यात है. उसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार देता हैं.ईसतरह रक्षाबंधन मनाया जाता हैं.
भाई-बहन का अनोखा नाता
ये तो होगायी रक्षाबंधन कि विधी, ईसके बाद सुरू होती है भाई-बहन कि मस्ती.डांस करना, ईस खुशी के दिन को कॅमेरेमे कैद करना ये तो होता रहता हैं,कोई भाई-बहन ईस दिन घुमणे ज्याते है तो कोई मूवी देकने ज्याते है, अपने अपने तरिकेसे भाई-बहन ईस दिन को मनाते हैं.भाई बहन को उपहार देता है मगर वो उपहार बहन को पसंद ना आये तो बहन भाई से झगडती है फिर भाई बहन को मनाता है.ये भाई-बहन का अनोखा बंधन ईस दिन खुशीवोसे भर उटता हैं. और ये अयसा बंधन है जो कभी तूट नही सकता.भाई बडा हो या बहन बडी हो अपने छोटे भाई-बहन को मा-बाप कि दाट से हमेशा बचाते हैं.बहन भाई के मन पसंद खान बनाती है तो भाई उसमे गलतीया निकालता हैं ( बहन को सताणे के लीये) मगर दुनिया के सामने बहन कि हमेशा तारीफ ही करता है. भाई-बहन का ये अनोखा नाता सारे दुनिया से निराला हैं.
रक्षाबंधन क्यु मनाया जाता हैं । रक्षाबंधन कि कहाणी
सालो से हम रक्षाबंधन मनाते आरहे हैं लेकिन ईस कि सुरुवात कब से हूई ये कोही नही जानता मगर हा रक्षा हेतु ईस रक्षाबंधन कि सुरुवात हुवी थी.जाणते है रक्षाबंधन के उपर कोण-कोनसी कहानी है.
राजा बलि कि कहाणी
राजा बलि नामक एक विश्णु भक्त थे.ऊनका जन्म राक्षस कुलमे हुवा था.राजा बलि के पास महादेव काभी वर्दान था.एक दिन राजा बलि १०१ यग्ण करणेकि थानी. देवता ईस वजाहसे चिंतित होगएथे क्युकि उणे भय था कि राजा बलि ईसकेबाद स्वर्ग पर कब्जा करलेंगे. ईसलीये सारे देवता श्रीहरी विश्णु के पास गये.विश्णु णे वामन अवतार लेके राजा बलि के सामने गये राजा बलि ने ऊनका स्वागत किया और ऊनको कुछ मांगणेको कहा.राजा बलि महादानी था,भगवान विश्णु ने तीन पग भूमी मांगी.राजा बलि ने देणे का वचन दिया. वचन प्राप्त करणे के बाद विश्णु ने विराठ रूप धारण किया. ऊनोंने एक पग स्वर्ग और एक पग धरती नापाली. अब तिसरा पग कहा रखे तब राजा बलि ने अपने सर पर रखणे को कहा.
राजा बलि कि दानसुरता देखकर भगवान विश्णु ऊनसे प्रसण हुवे और उणे वर मांगणेको कहा तब राजा बलिने भगवान विश्णु को अपने साथ पाथाल लोग मे रहनेको कहा.उधर माता लक्ष्मी को ये बात अच्छि नही लगी. माता ईसके निवारण हेतु भगवान शिव के पास आती है,शिव जी माता लक्ष्मी से कहते राजा बलि वचन बद्ध पुरुष है अगर माता लक्ष्मी उन्हे किसी बंधन मे बांधले तो ओ भगवान विश्णु को वैकुन्ठ वापस ला सकती हैं. माता लक्ष्मी राजा बलि के पास ज्याती है और ऊनसे सहायता मांगती है और ऊनको एक धागा बांध देती है और भाई बनालेती हैं. राजा बलि माता लक्ष्मी को सहाय्यता हेतु जो मांगोगी वह देनेको तयार होजात है. माता लक्ष्मी ऊनसे भगवान विश्णु को मांगती है,और राजा बलि ऊनकी ईच्छा पुरी करता है और भगवान विश्णु को माता लक्ष्मी अपने साथ लेजाती हैं. वह श्रावण महिनेका पोर्णीमा का दिन था.
महाभारत कि कहाणी
महाभारत कि कहाणी मे जब पांडवो का नया राज्य बसा था तब दुर्योधन,कर्ण के साथ महाराज सिसुपाल भी अतिथि बनकर पांडवोके दरबार मे आयेथे.वहापर जब सिसुपाल अपने १०० गुनाह पुरे करलेता है तब भगवान श्रीकृष्ण सुदर्शनचक्र से सिसुपाल का वद्ध करदेता है तो उनकी ऊगली कट जाती है तब द्रोपती अपनी साडीके पल्लू से ऊगली को बांध देती है तब भगवान श्रीकृष्ण द्रोपती को उसकी रक्षा करणेका वचन देता है.
रक्षाबंधन कि ऐतीहासीक कहाणी
सन १५३० के आस-पास कि ये कहाणी है,चित्तोड कि राणी कर्णावती जो राणा सांगा कि पत्नी थी. राणा सांगा के देहांत के बाद राणी ने अपने बेटे को गादी पर बैठातोदिया था, लेकिन वो उस वक्त छोटे थे,गुजरात के सुलतान बहादूर शहा चित्तोड पर आक्रमण करणे वाला था.राणी कर्णावती चिंतित थी तब ऊनोंने मुगल बादशाह हुमॅायू को एक संदेशपत्र के साथ राखी भेजी और ऊनसे मदत मांगी. मुगल बादशाह हुमॅायू ने राखी का स्वीकार करके राणी कर्णावती को बहन माना और ऊनकी मदत कि. उसके बाद महाराणा प्रताप के समय,और दुसरे राजाओ के समय रक्षाबंधन मनाना सुरू होगया.
राखी कब हातपरसे निकाले । rakhi kab remove kare
राखी कब निकाले ईसका कोई समय कहीपे दिया नही है. हर जगा अलग-अलग मान्यताये है.महारास्ट्रमे राखी पोर्णीमा के दिन हात पर बांधीजाती है और उसके १५ दिन बाद निकाली ज्याती है.१५ दिन बाद पोला मतलब बैलो का फेस्टिवल होता है तब राखी निकाली ज्याती है और नदी मे दाली ज्याती है.राखी को ईदर-उदर फेका नही जाता.
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